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रस-उपरस-महारस-साधारणरस का वर्गीकरण का आधार


रसशास्त्र में खनिज द्रव्यों को उनके गुण, उपयोगिता, विषाक्तता एवं संस्कार की आवश्यकता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
मुख्य आधार –

  1. गुण एवं प्रभाव (औषधीय महत्त्व)
  2. संस्कार की आवश्यकता (शोधन, मरण इत्यादि)
  3. विषाक्त या अविषाक्त स्वरूप
  4. रसायनात्मक व औषधीय उपयोगिता

अपक्व (अपक्क) अभ्रकभस्म सेवन से हानि

यदि अभ्रक भस्म (Mica Ash) उचित अमृतीकरण, पुटन, शोधन के बिना सेवन कर लिया जाए तो—

  • पेट दर्द, दस्त, उल्टी
  • यकृत एवं वृक्क पर प्रतिकूल प्रभाव
  • शरीर में पारा, आर्सेनिक या अन्य धात्विक अशुद्धियों के कारण विषाक्तता
  • रक्तविकार, त्वचा रोग
  • दीर्घकाल में जठराग्नि मंद होना एवं दोषों की वृद्धि

👉 इसलिए अपक्व भस्म सेवन निषिद्ध है।


महारसाः (Maharasa)

ये वे धातु-खनिज हैं जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और औषधियों में सर्वाधिक उपयोगी माने गये हैं।
महारस के उदाहरण

  1. अभ्रक (Mica)
  2. वैक्रान्त (Tourmaline)
  3. मक्षिक (Pyrites)
  4. वंग (Tin)
  5. नाग (Lead)
  6. यशद (Zinc)
  7. ताम्र (Copper)
  8. लौह (Iron)

महारस वर्गीकरण दर्शक तालिका

क्रमांकमहारस का नामआधुनिक नामउपयोगिता
1अभ्रकMicaरसायन, पुनर्जनन शक्ति
2वैक्रान्तTourmalineवात-पित्त शमन
3मक्षिकPyritesयकृत रोग नाशक
4वंगTinमधुमेह, मूत्ररोग
5नागLeadअर्श, प्रमेह
6यशदZincनेत्र रोग, मधुमेह
7ताम्रCopperयकृत, प्लीहा रोग
8लौहIronपाण्डु, क्षय

रस वर्गीकरण दर्शक तालिका

(यहाँ “रस” शब्द मुख्यतः पारा एवं उससे जुड़े खनिज/धातुओं के लिए प्रयुक्त होता है।)

वर्गद्रव्यविशेषता
रसपारद (Mercury)सभी योगों में प्रधान, रसायन, विषनाशक
महारसअभ्रक, लौह, ताम्र आदिधातु व खनिज औषधियाँ
उपरसहरताल, मनःशिला आदिसंस्कार के बाद उपयोग योग्य
साधारण रसखनिज क्षार, लवण आदिसामान्य चिकित्सा में उपयोग

उपरस वर्गीकरण दर्शक तालिका

क्रमांकउपरसआधुनिक नामगुण/हानि
1हरतालOrpiment (Arsenic trisulfide)कुष्ठ, त्वचा रोग – विषैला
2मनःशिलाRealgar (Arsenic disulfide)त्वचारोग – अति विषैला
3गौरीपाषाणChalkअम्लपित्त नाशक
4कसीसGreen vitriol (Ferrous sulphate)रक्तवर्धक
5गेरुRed ochre (Ferric oxide)रक्तस्तम्भक
6तुत्थाBlue vitriol (Copper sulphate)नेत्र रोग
7अञ्जनAntimony sulphideनेत्र औषधि
8कण उपरसविविधरोगानुसार

उपरसों का वर्गीकरण

उपरस वे खनिज पदार्थ हैं जो पारा के समान मुख्य नहीं, लेकिन औषधि निर्माण में सहायक हैं।
इन्हें इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है –

  1. विषम उपरस – (विषैला, शोधन आवश्यक) → हरताल, मनःशिला
  2. अविषम उपरस – (कम विषैला, आसानी से उपयोग योग्य) → गेरु, गौरीपाषाण, तुत्था आदि