अभ्रकभस्म एवं वैक्रान्त (Mica Bhasma / Biotite)

🔹 अभ्रक पर्याय (Synonyms)

  • अभ्रक, वैक्रान्त, कन्न, गौरशिल, श्यामक, पातालगर्भ आदि।
  • अंग्रेज़ी में: Mica / Biotite / Muscovite

🔹 अभ्रक की उपस्थिति एवं खनिज प्रकार

  • अभ्रक मुख्यतः सिलिकेट समूह का खनिज है।
  • इसमें पोटाशियम, एल्युमिनियम, आयरन, मैग्नीशियम, सिलिका प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
  • यह पत्तियों की भांति परतदार (layered) एवं चमकीला होता है।

🔹 अभ्रक भेद (Types)

  1. पिंगल (Brownish mica)
  2. कृष्ण (Black mica)
  3. धूम्र (Smoky mica)
  4. श्वेत (White mica)

शास्त्रों में कृष्ण वैक्रान्त को औषध निर्माण में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।


🔹 ग्राह्य अभ्रक के लक्षण

  • पर्णवत् सुक्ष्म पत्रों में विदारित होने वाला।
  • अग्नि में डालने पर न फूटने वाला।
  • चिक्कण व चमकीला।
  • जल में न गलने वाला।

🔹 वैक्रान्त प्राप्तिस्थान (Occurrence)

  • बिहार (गया, मुंगेर)
  • झारखंड (गोड्डा, कोडरमा)
  • राजस्थान
  • आंध्रप्रदेश
  • अन्य पर्वतीय क्षेत्र।

🔹 अभ्रक का भौतिक गुण

  • रंग : काला, धूसर, भूरा, श्वेत।
  • रूप : पत्रवत् (Sheet-like)
  • स्पर्श : चिक्कण, शीतल।
  • चमक : कांच समान।
  • कठोरता : 2.5 (Moh’s scale)।

🔹 वैक्रान्त का भौतिक गुण

  • अभ्रक के समान परंतु अधिक धातुगुणयुक्त
  • औषध प्रयोग हेतु शोधन आवश्यक।

🔹 अभ्रक शोधन (Shodhana)

  • तक्र (मट्ठा), गोदुग्ध, त्रिफला क्वाथ, कानजी, नींबू रस आदि में अभ्रक को उबालना।
  • बार-बार तप्त कर द्रव में डुबाना → अशुद्धियाँ दूर होती हैं।

🔹 अभ्रकभस्म विधि

(१) धान्याभ्रक विधि

  • अभ्रक को गंधक, चावल (धान्य) व नींबू रस से प्रक्रिया कर,
  • गोमूत्र, गोदुग्ध या त्रिफला क्वाथ में पुट देकर सुगंधित, लाल-भूरी बारीक भस्म प्राप्त की जाती है।

(२) अभ्रकभस्म (Marana Vidhi)

  • शोधन अभ्रक को कज्जली (HgS + अभ्रक) के साथ
  • 800–1000° C पुटन प्रक्रिया (कुपीपाक या गोपुट) द्वारा भस्म तैयार।

🔹 वैक्रान्त शोधनार्थ द्रव

  • तक्र (मट्ठा)
  • त्रिफला क्वाथ
  • गोदुग्ध
  • कानजी
  • नींबू रस

🔹 वैक्रान्त मारण (Bhasmikaran)

  • शुद्ध अभ्रक को कज्जली व वनस्पति द्रव्य (भृंगराज, तुलसी रस) के साथ पुटन प्रक्रिया द्वारा बार-बार तपा कर सूक्ष्म भस्म में परिवर्तित किया जाता है।

🔹 अभ्रक परीक्षा (Tests of Proper Bhasma)

  1. रेखापूर्णत्वम् – उँगली की रेखाओं में भर जाना।
  2. निरुत्था – अग्नि पर डालने से न चमकना।
  3. अपूनर्भाव – धातुरूप में पुनः परिवर्तित न होना।
  4. वर्ण, गन्ध, स्वाद, स्पर्श शुद्धि।

🔹 अभ्रकभस्म की रासायनिक परीक्षा (Chemical Analysis)

  • Fe₂O₃ (Iron oxide) – 10–15%
  • Al₂O₃ (Aluminium oxide) – 15–20%
  • SiO₂ (Silica) – 40–45%
  • K₂O (Potassium oxide) – 8–10%
  • Trace elements: Mg, Ca, Na, Ti।

🔹 अभ्रकभस्म का विश्लेषण तालिका

तत्व (Constituent)प्रतिशत (%)औषधीय महत्व
सिलिका (SiO₂)40–45%ऊतक स्थिरता, कोशिका संरक्षण
ऐल्युमिना (Al₂O₃)15–20%उत्तक शक्ति व शोधन गुण
लौह (Fe₂O₃)10–15%रक्तवर्धक, बल्य
पोटाश (K₂O)8–10%स्नायु-पोषक
अन्य खनिज5–10%सूक्ष्म पोषण तत्व

🔹 अभ्रक उपयोग (Therapeutic Uses)

  • क्षय (TB), श्वास, दमा, खाँसी
  • मधुमेह, प्रमेह
  • वंध्यत्व, शुक्रक्षीणता
  • आयुर्वृद्धि, बलवर्धन
  • हृदय रोग, यकृत रोग

🔹 अभ्रकभस्म के प्रमुख योग (Classical Formulations)

  • अभ्रकभस्म + ह्रीवेर रस + हृदयारोग्य औषधियाँ
  • अभ्रकभस्म + शिलाजीत + अश्वगंधा → बल्य-वीर्यवर्धक योग
  • अभ्रकभस्म + वसादि क्वाथ → श्वासकासहर योग

🔹 अशुद्ध वैक्रान्त से हानि

  • उदरशूल, अरुचि, मूर्छा
  • वमन, अतिसार
  • यकृत एवं वृक्क विकार

🔹 वैक्रान्तभस्म मात्रा (Dosage)

  • 125 mg – 250 mg
  • सहपान: मधु, घृत, मक्खन, दूध या औषध क्वाथ।

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