यह प्राचीन भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से रसायन विज्ञान (रसशास्त्र) और धातुकर्म में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों (यन्त्रों) और प्रक्रियाओं (पुट) को दर्शाती है।


श्रेणी 1: विभिन्न प्रकार के ‘पुट’ (भट्ठियाँ / भस्मीकरण की प्रक्रियाएँ)

‘पुट’ का अर्थ है एक विशेष प्रकार की भट्ठी या एक प्रक्रिया जिसमें धातुओं, खनिजों या जड़ी-बूटियों को उच्च ताप पर गर्म करके उन्हें शुद्ध किया जाता है या उन्हें ‘भस्म’ (कैल्सिनेटेड पाउडर) में बदला जाता है।

  1. पुट (सामान्य): भस्मीकरण की सामान्य प्रक्रिया।
    · प्रयोजन (Purpose): किसी पदार्थ को उच्च ताप पर गर्म करके उसके अवांछित गुणों को नष्ट करना और उसे निष्क्रिय/उपयोगी बनाना।
    · फल (Result/Outcome): अंतिम उत्पाद ‘भस्म’ प्राप्त होता है, जो रासायनिक रूप से परिवर्तित और चिकना पाउडर होता है।
  2. महापुट: ‘महान’ या बड़ा पुट। यह एक उच्च तापमान वाली और लंबी अवधि की भस्मीकरण प्रक्रिया है।
  3. गजपुट: ‘हाथी’ जितना शक्तिशाली पुट। इसका तापमान बहुत उच्च होता था, संभवतः बड़ी मात्रा में सामग्री को प्रक्रिया करने के लिए।
  4. वाराहपुट: ‘सुअर’ जैसा पुट। इसकी संरचना या ताप का स्वरूप किसी विशेष प्रकार का रहा होगा।
  5. कुक्कुटपुट: ‘मुर्गे’ जैसा पुट। संभवतः इसकी आकृति या ताप की तीव्रता मुर्गे के स्वभाव से तुलनीय थी।
  6. कपोतपुट: ‘कबूतर’ जैसा पुट। एक अन्य प्रकार की भस्मीकरण प्रक्रिया।

श्रेणी 2: विभिन्न प्रकार के ‘यन्त्र’ (उपकरण / Apparatus)

ये विभिन्न प्रयोशालीय उपकरण हैं जिनका प्रयोग गर्म करने, आसवन करने, निथारने, स्थानांतरित करने आदि के लिए किया जाता था।

  1. तिर्यक्षातनयन्त्र (तिर्यक् + आसवन + यन्त्र): तिरछा आसवन यंत्र। यह एक ऐसा उपकरण है जो आधुनिक डिस्टिलेशन एपरेटस (Distillation Apparatus) के समान है। इसमें तिरछी नली (कोंडेन्सर) लगी होती है जिससे वाष्प को ठंडा करके तरल रूप में प्राप्त किया जाता है।
  2. वङ्कनाल (वक्र + नाल): वक्र नली / बेंट नोजल। यह तिर्यक्षातनयन्त्र का ही एक हिस्सा है, वह तिरछी नली जो वाष्प को संघनित करती है। आधुनिक स्वरूप में इसे कंडेनसर (Condenser) कहा जाता है।
  3. भूधरयन्त्र: संभवतः एक सबलिमेशन एपरेटस (Sublimation Apparatus)। इसका उपयोग ठोस पदार्थ को सीधे वाष्प में और फिर वाष्प को सीधे ठोस में बदलने (उर्ध्वपातन) के लिए किया जाता था।
  4. अग्निप्रकार: यह एक विशेष प्रकार की आंच / ताप का स्रोत (Source of Heat) हो सकता है, जैसे कोयले की अलग-अलग व्यवस्था से अलग-अलग तापमान प्राप्त करना।
  5. पातालयन्त्र: एक भूमिगत भट्ठी (Underground Furnace)। इसका प्रयोग लंबे समय तक नियंत्रित तापमान बनाए रखने के लिए किया जाता था।
  6. खल्वयन्त्र: एक क्रशिंग या ग्राइंडिंग मशीन (Crusher/Grinder)। आधुनिक स्वरूप में इसे मोर्टार और पेस्टल (Mortar and Pestle) या बॉल मिल कहा जाता है।
  7. तुलायन्त्र: तराजू या तौल का यंत्र (Weighing Balance)। आधुनिक स्वरूप में एनालिटिकल बैलेंस।
  8. अदूखलयन्त्र: एक प्रकार का आसवन यंत्र (Still) जो पानी या अन्य तरल पदार्थों को आसवित करने के काम आता था।
  9. कच्छपयन्त्र: ‘कछुए’ के आकार का यंत्र। यह एक विशेष डिजाइन वाला भट्ठा (Furnace) होता था, जिसका उपयोग विशेष रूप से पारे (Mercury) के साथ काम करने में किया जाता था।
  10. हंसपाकयन्त्र: ‘हंस’ के आकार का पाक यंत्र। संभवतः एक विशेष आकृति का डिजाइन किया हुआ बर्तन (Designed Flask) जिसका उपयोग किसी विशेष प्रक्रिया के लिए होता था।
  11. सोमानलयन्त्र: यह एक वाष्प संघनन यंत्र (Steam Condensation Apparatus) हो सकता है।
  12. नालिकायन्त्र: नली / ट्यूब (Tube or Pipe)। आधुनिक स्वरूप में लैब में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न Glass Tubings.
  13. गर्भयन्त्र: एक विशेष प्रकार का सील किया हुआ बर्तन (Sealed Vessel/Flask)। इसका उपयोग ऐसी प्रक्रियाओं के लिए किया जाता था जहाँ हवा की अनुपस्थिति या दबाव की आवश्यकता होती थी। आधुनिक स्वरूप में इसे सील्ड ट्यूब या ऑटोक्लेव का पूर्वज माना जा सकता है।
  14. भाण्डपुट: यह एक ऐसा यंत्र है जो ‘भाण्ड’ (बर्तन) और ‘पुट’ (भट्ठी) दोनों का काम करता होगा। संभवतः एक क्रूसिबल (Crucible) – एक ऐसा बर्तन जिसे सीधे अत्यधिक ताप में रखा जा सकता है।

सारांश (Summary)

प्राचीन नाम संभावित आधुनिक स्वरूप / प्रयोजन
पुट भस्मीकरण / कैल्सिनेशन की प्रक्रिया
तिर्यक्षातनयन्त्र आसवन यंत्र (Distillation Apparatus)
वङ्कनाल संघनक नली (Condenser Tube)
भूधरयन्त्र उर्ध्वपातन यंत्र (Sublimation Apparatus)
खल्वयन्त्र सिल-बट्टा / पीसने का यंत्र (Mortar & Pestle)
तुलायन्त्र तराजू (Weighing Balance)
कच्छपयन्त्र एक विशेष डिजाइन की भट्ठी (Special Furnace)
गर्भयन्त्र वायुरोधी बर्तन (Sealed Vessel/Flask)
नालिकायन्त्र नलिका / ट्यूब (Tubing)
भाण्डपुट क्रूसिबल (Crucible)

ये सभी यंत्र और प्रक्रियाएँ प्राचीन भारत में रसायन विज्ञान, धातुकर्म और आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में उन्नत तकनीकी ज्ञान के स्पष्ट प्रमाण हैं।

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