
1. हृदय का परिचय
- कार्य: हृदय एक पेशीय अंग है जो रक्त को संचार तंत्र के माध्यम से पूरे शरीर में पंप करता है।
- स्थान: वक्ष गुहा (थोरेसिक कैविटी) में फेफड़ों के बीच, थोड़ा बायीं ओर झुका हुआ।
- आकार: मुट्ठी के बराबर।
- परतें:
- पेरिकार्डियम (बाहरी सुरक्षात्मक झिल्ली)
- मायोकार्डियम (मध्य पेशीय परत)
- एंडोकार्डियम (आंतरिक परत)
2. हृदय के चारों कक्ष
कक्ष | कार्य |
---|---|
दायां आलिंद (Right Atrium) | शरीर से डीऑक्सीजनेटेड रक्त सुपीरियर व इन्फीरियर वेना कावा द्वारा प्राप्त करता है। |
दायां निलय (Right Ventricle) | डीऑक्सीजनेटेड रक्त को पल्मोनरी धमनी के माध्यम से फेफड़ों में भेजता है। |
बायां आलिंद (Left Atrium) | फेफड़ों से ऑक्सीजनेटेड रक्त पल्मोनरी शिराओं द्वारा प्राप्त करता है। |
बायां निलय (Left Ventricle) | ऑक्सीजनेटेड रक्त को महाधमनी (Aorta) द्वारा पूरे शरीर में पंप करता है (सबसे मोटी दीवार)। |
महत्वपूर्ण तथ्य:
- बायां निलय की दीवार सबसे मोटी होती है क्योंकि इसे पूरे शरीर में रक्त पंप करना होता है।
- दायां निलय की दीवार पतली होती है क्योंकि यह सिर्फ फेफड़ों तक रक्त भेजता है।
3. प्रमुख रक्त वाहिकाएँ
वाहिका | कार्य |
---|---|
सुपीरियर वेना कावा | ऊपरी शरीर से डीऑक्सीजनेटेड रक्त दायें आलिंद में लाती है। |
इन्फीरियर वेना कावा | निचले शरीर से डीऑक्सीजनेटेड रक्त दायें आलिंद में लाती है। |
पल्मोनरी धमनी | दायें निलय से डीऑक्सीजनेटेड रक्त फेफड़ों में ले जाती है। (डीऑक्सीजनेटेड रक्त वाली एकमात्र धमनी!) |
पल्मोनरी शिराएँ | फेफड़ों से ऑक्सीजनेटेड रक्त बाएं आलिंद में लाती हैं। (ऑक्सीजनेटेड रक्त वाली एकमात्र शिराएँ!) |
महाधमनी (Aorta) | बाएं निलय से ऑक्सीजनेटेड रक्त पूरे शरीर में वितरित करती है। |
4. हृदय के वाल्व (एक-दिशीय रक्त प्रवाह सुनिश्चित करते हैं)
हृदय में चार वाल्व होते हैं जो रक्त के उल्टे प्रवाह को रोकते हैं:
वाल्व | स्थान | कार्य |
---|---|---|
ट्राइकस्पिड वाल्व | दायां आलिंद व दायां निलय के बीच | दायें आलिंद में रक्त के वापस जाने को रोकता है। |
पल्मोनरी वाल्व | दायां निलय व पल्मोनरी धमनी के बीच | दायें निलय में रक्त के वापस जाने को रोकता है। |
मिट्रल (बाइकस्पिड) वाल्व | बायां आलिंद व बायां निलय के बीच | बाएं आलिंद में रक्त के वापस जाने को रोकता है। |
ऑर्टिक वाल्व | बायां निलय व महाधमनी के बीच | बाएं निलय में रक्त के वापस जाने को रोकता है। |
याद रखने की ट्रिक:
“ट्राई करो पल्मोनरी, मिट्रल ऑर्टिक” → ट्राइकस्पिड, पल्मोनरी, मिट्रल, ऑर्टिक
5. हृदय में रक्त प्रवाह (चरणबद्ध विवरण)
- डीऑक्सीजनेटेड रक्त वेना कावा द्वारा दायें आलिंद में प्रवेश करता है।
- ट्राइकस्पिड वाल्व से गुजरकर दायें निलय में पहुँचता है।
- दायां निलय रक्त को पल्मोनरी वाल्व के माध्यम से पल्मोनरी धमनी में पंप करता है (फेफड़ों तक)।
- फेफड़ों में ऑक्सीजनशन होता है।
- ऑक्सीजनेटेड रक्त पल्मोनरी शिराओं द्वारा बाएं आलिंद में वापस आता है।
- मिट्रल वाल्व से गुजरकर बाएं निलय में पहुँचता है।
- बायां निलय रक्त को ऑर्टिक वाल्व के माध्यम से महाधमनी में पंप करता है (पूरे शरीर में)।
संक्षिप्त प्रवाह:
शरीर → वेना कावा → दायां आलिंद → ट्राइकस्पिड → दायां निलय → पल्मोनरी वाल्व → फेफड़े → पल्मोनरी शिराएँ → बायां आलिंद → मिट्रल → बायां निलय → ऑर्टिक → महाधमनी → शरीर
6. परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
✔ दोहरा परिसंचरण: हृदय फेफड़ों (पल्मोनरी) और शरीर (सिस्टमिक) को अलग-अलग रक्त पंप करता है।
✔ पल्मोनरी धमनी = डीऑक्सीजनेटेड रक्त वाली एकमात्र धमनी।
✔ पल्मोनरी शिराएँ = ऑक्सीजनेटेड रक्त वाली एकमात्र शिराएँ।
✔ बायां निलय = सबसे मोटी दीवार (उच्च दबाव पंप)।
✔ वाल्व रक्त के उल्टे प्रवाह को रोकते हैं (“लब-डब” ध्वनि वाल्वों के बंद होने से आती है)।
7. हृदय के सामान्य रोग
- उच्च रक्तचाप (Hypertension): धमनियों पर अत्यधिक दबाव।
- एथेरोस्क्लेरोसिस: धमनियों में प्लाक जमाव।
- हृदयाघात (Heart Attack): कोरोनरी धमनी में रुकावट।
- वाल्वुलर स्टेनोसिस: हृदय वाल्वों का संकुचित होना।
अध्ययन युक्तियाँ:
- हृदय का नामांकित चित्र बनाएँ।
- रक्त प्रवाह को चरणबद्ध तरीके से समझें।
- फ्लैशकार्ड बनाकर वाल्व और वाहिकाओं को याद करें।