Tag Archives: B.A.M.S.

रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना

रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना आयुर्वेद का एक विशिष्ट शाखा है जो दवाओं के निर्माण, शोधन, संरक्षण एवं प्रयोग से सम्बंधित है। इसके अंतर्गत जड़ी-बूटियों, धातुओं, खनिजों एवं जंतु उत्पादों से औषधियाँ तैयार की जाती हैं, जिनकी प्रभावकारिता सामान्य दवाओं से कहीं अधिक होती है।


रसशास्त्र (Rasashastra)

यह आयुर्वेद की वह शाखा है जो धातु-मणियों (स्वर्ण, चाँदी, लोहा, ताँबा), खनिजों (अभ्रक, गंधक, मणि) एवं पारद (पारा) के औषधीय उपयोग से सम्बंधित है।

मुख्य प्रक्रियाएँ:

  1. शोधन (Purification) – धातुओं एवं खनिजों को विषमुक्त करना।
  2. मारण (Incineration/Calcination) – भस्म बनाने की प्रक्रिया।
  3. संस्कार (Processing) – औषधियों को सुखाना, पीसना एवं संरक्षित करना।

प्रमुख रसौषधियाँ:

  • भस्म (Bhasma) – जैसे स्वर्णभस्म, ताम्रभस्म, अभ्रक भस्म।
  • कज्जली (Kajjali) – पारद एवं गंधक का योग।
  • सिन्दूर (Sindoor) – लाल या काले रंग की औषधि।
  • रसायन (Rasayana) – रोगप्रतिरोधक एवं पुनर्योजक दवाएँ।

भैषज्य कल्पना (Bhaishajya Kalpana)

यह आयुर्वेदिक फार्मेसी है, जिसमें वनस्पतियों, धातुओं एवं अन्य पदार्थों से विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ तैयार की जाती हैं।

पंचविध कषाय कल्पना (5 Basic Preparations):

  1. स्वरस (Fresh Juice) – जैसे एलोवेरा जूस।
  2. कल्क (Paste) – जैसे हरिद्रा कल्क।
  3. क्वाथ (Decoction) – जैसे दशमूल क्वाथ।
  4. हिम (Cold Infusion) – जैसे पुदीना हिम।
  5. फांट (Hot Infusion) – जैसे सौंफ का फांट।

अन्य महत्वपूर्ण योग:

  • अवलेह (Jam-like) – च्यवनप्राश, ब्राह्मी अवलेह।
  • चूर्ण (Powder) – त्रिफला चूर्ण, सितोपलादि चूर्ण।
  • वटी/गुटिका (Tablets) – चन्द्रप्रभा वटी, पुनर्नवा मंडूर।
  • आसव-अरिष्ट (Fermented Tonics) – अश्वगंधारिष्ट, द्राक्षासव।
  • घृत (Medicated Ghee) – ब्राह्मी घृत, महातिक्तक घृत।
  • तैल (Medicated Oils) – नारायण तैल, क्षीरबला तैल।

आधुनिक प्रासंगिकता

  • भस्म नैनो-पार्टिकल्स के रूप में कार्य करते हैं, जिससे शरीर में अवशोषण आसान होता है।
  • कैंसर, मधुमेह, गठिया एवं तंत्रिका रोगों में प्रभावी।
  • आयुर्वेदिक औषधियों का सुरक्षित एवं प्राकृतिक विकल्प के रूप में उपयोग।

निष्कर्ष

रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना आयुर्वेद की उन्नत चिकित्सा पद्धति है, जो साधारण पदार्थों को अत्यंत प्रभावशाली औषधियों में बदल देती है। यह न केवल रोगों का नाश करती है, बल्कि दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन भी प्रदान करती है।