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Rachna Sharir रचना शरीर (आयुर्वेदिक शरीर रचना विज्ञान)

रचना शरीर आयुर्वेद का वह महत्वपूर्ण अंग है जो मानव शरीर की संरचना (Anatomy) के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रदान करता है। इसमें हड्डियों, मांसपेशियों, रक्त वाहिकाओं, स्रोतों (चैनल्स), जोड़ों, महत्वपूर्ण अंगों, मर्म स्थानों तथा गर्भ शरीर (भ्रूण विज्ञान) का अध्ययन किया जाता है।

रचना शरीर के प्रमुख अंग एवं विषय:

  1. अस्थि (हड्डियाँ) – शरीर की कंकाल संरचना, जोड़ों का ज्ञान।
  2. मांस (मांसपेशियाँ) – मांस, स्नायु (टेंडन्स) और स्नायुबंधन (लिगामेंट्स) का अध्ययन।
  3. सिरा एवं धमनी (रक्त वाहिकाएँ) – नसों, धमनियों और रक्त संचरण का ज्ञान।
  4. स्रोतस (शरीर के मार्ग) – पोषण तथा विषाक्त पदार्थों के परिवहन हेतु सूक्ष्म व स्थूल मार्ग।
  5. संधि (जोड़) – जोड़ों की संरचना एवं कार्यप्रणाली।
  6. महत्वपूर्ण अंग – हृदय, यकृत (Liver), प्लीहा (Spleen), फेफड़े, मस्तिष्क आदि।
  7. मर्म (वital बिंदु) – शरीर के 107 संवेदनशील बिंदु जो स्वास्थ्य और मृत्यु से जुड़े होते हैं।
  8. गर्भ शरीर (भ्रूण विज्ञान) – गर्भधारण, भ्रूण विकास और प्रसूति संबंधी ज्ञान।

आयुर्वेद में महत्व:

  • रोगों के निदान (निदान) और उपचार (चिकित्सा) में सहायक।
  • शल्य चिकित्सा (शल्य तंत्र) के लिए आवश्यक।
  • पंचकर्म और मर्म चिकित्सा का आधार।
  • सुश्रुत संहिता (शरीर स्थान) में शरीर रचना का विस्तृत वर्णन मिलता है, जिसमें शव-विच्छेदन (Dissection) की विधियाँ भी बताई गई हैं।