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पेट (उदर) की जाँच – बी.एससी नर्सिंग (7वां सेमेस्टर, बैच B)

उद्देश्य:

पेट के अंगों की स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करने और असामान्यताओं का पता लगाने के लिए व्यवस्थित जाँच करना।

आवश्यक उपकरण:

  1. स्टेथोस्कोप
  2. मापने वाला टेप
  3. दस्ताने
  4. पेनलाइट (यदि आवश्यक हो)
  5. ड्रेपिंग शीट
  6. मार्कर पेन (सीमाएँ चिह्नित करने के लिए)

पेट की जाँच के चरण

1. तैयारी

  • सूचित सहमति: रोगी को प्रक्रिया समझाएँ।
  • पोजीशनिंग: सपाट पीठ के बल, हाथ बगल में, घुटने थोड़े मुड़े हुए।
  • एक्सपोजर: पेट को पूरी तरह से खोलें, लेकिन मर्यादा बनाए रखें।
  • गर्म हाथ और शांत वातावरण: रोगी का आराम सुनिश्चित करें।

2. निरीक्षण (Inspection)

  • सामान्य अवलोकन: फूला हुआ पेट, निशान, स्ट्राइए (तन्यता रेखाएँ), दिखाई देने वाली पेरिस्टालसिस, धड़कन।
  • नाभि: स्थिति, आकार, रंग परिवर्तन, हर्निया।
  • त्वचा: रंग, घाव, फैली हुई नसें, चोट के निशान।
  • आकृति: सपाट, अंदर धंसा हुआ, गोल, फूला हुआ।
  • सांस लेने के साथ गति: सममिति।

3. श्रवण (Auscultation) (पैल्पेशन से पहले, आँतों की आवाज़ को बदलने से बचने के लिए)

  • आँतों की आवाज़:
  • सामान्य (5-35/मिनट), अतिसक्रिय (अवरोध), कम सक्रिय (पैरालिटिक इलियस), अनुपस्थित (पेरिटोनाइटिस)।
  • धमनी की आवाज़ (Bruits): महाधमनी, गुर्दे, इलियक और फीमोरल धमनियों पर (संकुचन का संकेत)।
  • रगड़ की आवाज़ (Friction Rubs): लीवर/तिल्ली पर (दुर्लभ, सूजन का संकेत)।

4. परकशन (Percussion)

  • टिम्पेनी बनाम मंदता:
  • टिम्पेनी (हवा से भरी आँतें)।
  • मंदता (ठोस अंग या द्रव)।
  • लीवर का आकार: मध्य-कंठिका रेखा में सामान्यतः 6-12 सेमी।
  • तिल्ली और गुर्दे: बढ़े हुए आकार की जाँच।
  • द्रव तरंग और शिफ्टिंग डलनेस: जलोदर (एसाइटिस) के लिए।

5. स्पर्श परीक्षण (Palpation)

A. हल्का स्पर्श (1-2 सेमी गहराई)

  • दर्द, जकड़न, कठोरता, सतही गांठ की जाँच।
  • रिबाउंड टेंडरनेस (Blumberg’s Sign): पेरिटोनाइटिस।

B. गहरा स्पर्श (5-6 सेमी गहराई)

  • लीवर: RLQ से शुरू करें, साँस लेते समय ऊपर की ओर बढ़ें।
  • तिल्ली: बाएँ हाथ को पसलियों के नीचे रखें, दाएँ हाथ से LUQ में दबाएँ।
  • गुर्दे: बैलोटमेंट तकनीक।
  • महाधमनी: चौड़ाई (<3 सेमी सामान्य)।
  • गांठें: आकार, आकृति, गतिशीलता, दर्द की जाँच।

6. विशेष परीक्षण (यदि आवश्यक हो)

  • मर्फी’स साइन: पित्ताशय की सूजन।
  • मैकबर्नी’स पॉइंट टेंडरनेस: अपेंडिसाइटिस।
  • प्सोअस और ऑब्ट्यूरेटर साइन: अपेंडिसाइटिस।
  • द्रव थ्रिल और शिफ्टिंग डलनेस: जलोदर।

डॉक्यूमेंटेशन और रिपोर्टिंग

  • निष्कर्षों को व्यवस्थित रूप से रिकॉर्ड करें (निरीक्षण, श्रवण, परकशन, स्पर्श)।
  • किसी भी असामान्यता को नोट करें (जैसे दर्द, अंगों का बढ़ना, जलोदर)।
  • यदि रोग संबंधी लक्षण मिलें, तो चिकित्सक को सूचित करें।

नर्सिंग ध्यान देने योग्य बातें

  • रोगी के आराम और गोपनीयता का ध्यान रखें।
  • दर्द से बचने के लिए हल्का दबाव डालें।
  • इतिहास के साथ निष्कर्षों की तुलना करें (जैसे दर्द, मतली, उल्टी)।
  • संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल का पालन करें।

निष्कर्ष: पेट की सावधानीपूर्वक जाँच से अपेंडिसाइटिस, लीवर रोग, आँतों में रुकावट जैसी स्थितियों का निदान होता है। सही तकनीक से सटीक आकलन संभव है।