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इकाई – 2: लिपिड्स (Lipids)

1. लिपिड्स की परिभाषा:

  • लिपिड्स कार्बनिक यौगिकों का एक विविध समूह है जो पानी में अघुलनशील लेकिन गैर-ध्रुवीय सॉल्वेंट्स (जैसे- ईथर, क्लोरोफॉर्म) में घुलनशील होते हैं।
  • इनमें शामिल हैं:
    • वसा (Fats), तेल (Oils)
    • फॉस्फोलिपिड्स (Phospholipids)
    • स्टेरॉयड (Steroids) – जैसे कोलेस्ट्रॉल, सेक्स हार्मोन
    • वैक्स (Waxes)

मुख्य कार्य:

  • ऊर्जा का प्रमुख स्रोत
  • कोशिका झिल्ली का घटक
  • जैव संकेत (Biological signaling) में भागीदारी

2. फैटी एसिड (Fatty Acids)

परिभाषा:
फैटी एसिड ऐसे कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनमें एक कार्बोक्सिल समूह (-COOH) होता है जो एक लंबी हाइड्रोकार्बन चेन से जुड़ा होता है।

मुख्य कार्य:

  • ऊर्जा संचय
  • झिल्ली की संरचना
  • कोशिकीय संकेतों का नियंत्रण

3. फैटी एसिड का वर्गीकरण

A. संतृप्ति (Saturation) के आधार पर:

  • संतृप्त फैटी एसिड (Saturated Fatty Acids – SFA):
    • हाइड्रोकार्बन श्रृंखला में कोई डबल बॉन्ड नहीं होता
    • सामान्य तापमान पर ठोस अवस्था
    • उदाहरण: पामिटिक एसिड, स्टीयरिक एसिड
  • असंतृप्त फैटी एसिड (Unsaturated Fatty Acids):
    • एक या अधिक डबल बॉन्ड होते हैं
    • मोनो-असंतृप्त फैटी एसिड (MUFA):
      • एक डबल बॉन्ड
      • स्रोत: जैतून का तेल, एवोकाडो, नट्स
      • उदाहरण: ओलिक एसिड
    • पॉली-असंतृप्त फैटी एसिड (PUFA):
      • दो या अधिक डबल बॉन्ड
      • स्रोत: मछली का तेल, अलसी के बीज
      • उदाहरण: लिनोलिक एसिड, अल्फा-लिनोलेनिक एसिड

B. आवश्यकता के आधार पर:

  • आवश्यक फैटी एसिड (Essential Fatty Acids – EFA):
    • शरीर द्वारा नहीं बनाए जा सकते, आहार से लेना आवश्यक
    • उदाहरण:
      • लिनोलिक एसिड (ओमेगा-6)
      • अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ओमेगा-3)
  • ग़ैर-आवश्यक फैटी एसिड:
    • शरीर इन्हें स्वयं बना सकता है

4. चिकित्सीय महत्व (Clinical Significance)

1. ओमेगा-3 फैटी एसिड:

  • सूजन कम करते हैं
  • हृदय और मस्तिष्क के लिए लाभकारी
  • स्रोत: मछली का तेल, अलसी

2. ओमेगा-6 फैटी एसिड:

  • त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक
  • अधिक मात्रा में सेवन करने से सूजन हो सकती है

3. ट्रांस फैटी एसिड:

  • असंतृप्त वसा जिनमें ट्रांस डबल बॉन्ड होता है
  • स्रोत: प्रोसेस्ड फूड्स, पके हुए स्नैक्स
  • हानिकारक प्रभाव:
    • एलडीएल बढ़ाते हैं (खराब कोलेस्ट्रॉल)
    • एचडीएल घटाते हैं (अच्छा कोलेस्ट्रॉल)
    • मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ाते हैं

WHO ट्रांस फैट को आहार से हटाने की सिफारिश करता है।


5. लिपिड्स का पाचन, अवशोषण और चयापचय

A. पाचन (Digestion):

1. मुंह में:

  • लिंगुअल लाइपेस: नवजात में सक्रिय

2. पेट में:

  • गैस्ट्रिक लाइपेस: मध्यम और छोटी श्रृंखला वाली ट्राइग्लिसराइड्स पर कार्य करता है

3. छोटी आंत में (मुख्य पाचन स्थल):

  • बाइल सॉल्ट्स (पित्त लवण) वसा को माइसेल्स में इमल्सिफाई करते हैं
  • पैन्क्रियाटिक लाइपेस ट्राइग्लिसराइड्स को मोनोग्लिसराइड्स और फैटी एसिड में तोड़ता है
  • कोलाइपेस लाइपेस को स्थिर करता है
  • फॉस्फोलाइपेस A2 फॉस्फोलिपिड्स को पचाता है
  • कोलेस्ट्रॉल एस्टरेज कोलेस्ट्रॉल एस्टर को तोड़ता है

B. अवशोषण (Absorption):

  • पचने के बाद माइसेल्स बनते हैं जो लिपिड्स को एंटरोसाइट्स तक पहुंचाते हैं
  • कोशिकाओं में ट्राइग्लिसराइड्स दोबारा बनते हैं और काइलोमाइक्रॉन्स में पैक होते हैं
  • काइलोमाइक्रॉन्स लिम्फ प्रणाली के माध्यम से रक्त में पहुंचते हैं
  • छोटे और मध्यम श्रृंखला वाले फैटी एसिड सीधे पोर्टल सर्कुलेशन में जाते हैं

6. लिपिड्स का परिवहन (Lipid Transport)

  • Chylomicrons (काइलोमाइक्रॉन्स): आहार से प्राप्त वसा को शरीर में पहुँचाते हैं
  • VLDL: यकृत से वसा को शरीर के ऊतकों तक
  • LDL: कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं तक पहुँचाता है (अधिक मात्रा = हृदय रोग)
  • HDL: अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को यकृत तक वापस लाता है

7. लिपिड चयापचय (Metabolism)

1. बीटा-ऑक्सीडेशन:

  • माइटोकॉन्ड्रिया में होता है
  • ऊर्जा के लिए Acetyl-CoA, NADH, FADH₂ बनाता है

2. कीटोजेनेसिस (Ketogenesis):

  • उपवास या मधुमेह के दौरान यकृत में होता है
  • ऊर्जा के लिए कीटोन बॉडीज़ बनती हैं

3. लिपोजेनेसिस (वसा संश्लेषण):

  • अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट → वसा में बदलते हैं
  • मुख्य रूप से यकृत और वसा ऊतक में होता है