
1. लिपिड्स की परिभाषा:
- लिपिड्स कार्बनिक यौगिकों का एक विविध समूह है जो पानी में अघुलनशील लेकिन गैर-ध्रुवीय सॉल्वेंट्स (जैसे- ईथर, क्लोरोफॉर्म) में घुलनशील होते हैं।
- इनमें शामिल हैं:
- वसा (Fats), तेल (Oils)
- फॉस्फोलिपिड्स (Phospholipids)
- स्टेरॉयड (Steroids) – जैसे कोलेस्ट्रॉल, सेक्स हार्मोन
- वैक्स (Waxes)
मुख्य कार्य:
- ऊर्जा का प्रमुख स्रोत
- कोशिका झिल्ली का घटक
- जैव संकेत (Biological signaling) में भागीदारी
2. फैटी एसिड (Fatty Acids)
परिभाषा:
फैटी एसिड ऐसे कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनमें एक कार्बोक्सिल समूह (-COOH) होता है जो एक लंबी हाइड्रोकार्बन चेन से जुड़ा होता है।
मुख्य कार्य:
- ऊर्जा संचय
- झिल्ली की संरचना
- कोशिकीय संकेतों का नियंत्रण
3. फैटी एसिड का वर्गीकरण
A. संतृप्ति (Saturation) के आधार पर:
- संतृप्त फैटी एसिड (Saturated Fatty Acids – SFA):
- हाइड्रोकार्बन श्रृंखला में कोई डबल बॉन्ड नहीं होता
- सामान्य तापमान पर ठोस अवस्था
- उदाहरण: पामिटिक एसिड, स्टीयरिक एसिड
- असंतृप्त फैटी एसिड (Unsaturated Fatty Acids):
- एक या अधिक डबल बॉन्ड होते हैं
- मोनो-असंतृप्त फैटी एसिड (MUFA):
- एक डबल बॉन्ड
- स्रोत: जैतून का तेल, एवोकाडो, नट्स
- उदाहरण: ओलिक एसिड
- पॉली-असंतृप्त फैटी एसिड (PUFA):
- दो या अधिक डबल बॉन्ड
- स्रोत: मछली का तेल, अलसी के बीज
- उदाहरण: लिनोलिक एसिड, अल्फा-लिनोलेनिक एसिड
B. आवश्यकता के आधार पर:
- आवश्यक फैटी एसिड (Essential Fatty Acids – EFA):
- शरीर द्वारा नहीं बनाए जा सकते, आहार से लेना आवश्यक
- उदाहरण:
- लिनोलिक एसिड (ओमेगा-6)
- अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ओमेगा-3)
- ग़ैर-आवश्यक फैटी एसिड:
- शरीर इन्हें स्वयं बना सकता है
4. चिकित्सीय महत्व (Clinical Significance)
1. ओमेगा-3 फैटी एसिड:
- सूजन कम करते हैं
- हृदय और मस्तिष्क के लिए लाभकारी
- स्रोत: मछली का तेल, अलसी
2. ओमेगा-6 फैटी एसिड:
- त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक
- अधिक मात्रा में सेवन करने से सूजन हो सकती है
3. ट्रांस फैटी एसिड:
- असंतृप्त वसा जिनमें ट्रांस डबल बॉन्ड होता है
- स्रोत: प्रोसेस्ड फूड्स, पके हुए स्नैक्स
- हानिकारक प्रभाव:
- एलडीएल बढ़ाते हैं (खराब कोलेस्ट्रॉल)
- एचडीएल घटाते हैं (अच्छा कोलेस्ट्रॉल)
- मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ाते हैं
WHO ट्रांस फैट को आहार से हटाने की सिफारिश करता है।
5. लिपिड्स का पाचन, अवशोषण और चयापचय
A. पाचन (Digestion):
1. मुंह में:
- लिंगुअल लाइपेस: नवजात में सक्रिय
2. पेट में:
- गैस्ट्रिक लाइपेस: मध्यम और छोटी श्रृंखला वाली ट्राइग्लिसराइड्स पर कार्य करता है
3. छोटी आंत में (मुख्य पाचन स्थल):
- बाइल सॉल्ट्स (पित्त लवण) वसा को माइसेल्स में इमल्सिफाई करते हैं
- पैन्क्रियाटिक लाइपेस ट्राइग्लिसराइड्स को मोनोग्लिसराइड्स और फैटी एसिड में तोड़ता है
- कोलाइपेस लाइपेस को स्थिर करता है
- फॉस्फोलाइपेस A2 फॉस्फोलिपिड्स को पचाता है
- कोलेस्ट्रॉल एस्टरेज कोलेस्ट्रॉल एस्टर को तोड़ता है
B. अवशोषण (Absorption):
- पचने के बाद माइसेल्स बनते हैं जो लिपिड्स को एंटरोसाइट्स तक पहुंचाते हैं
- कोशिकाओं में ट्राइग्लिसराइड्स दोबारा बनते हैं और काइलोमाइक्रॉन्स में पैक होते हैं
- काइलोमाइक्रॉन्स लिम्फ प्रणाली के माध्यम से रक्त में पहुंचते हैं
- छोटे और मध्यम श्रृंखला वाले फैटी एसिड सीधे पोर्टल सर्कुलेशन में जाते हैं
6. लिपिड्स का परिवहन (Lipid Transport)
- Chylomicrons (काइलोमाइक्रॉन्स): आहार से प्राप्त वसा को शरीर में पहुँचाते हैं
- VLDL: यकृत से वसा को शरीर के ऊतकों तक
- LDL: कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं तक पहुँचाता है (अधिक मात्रा = हृदय रोग)
- HDL: अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को यकृत तक वापस लाता है
7. लिपिड चयापचय (Metabolism)
1. बीटा-ऑक्सीडेशन:
- माइटोकॉन्ड्रिया में होता है
- ऊर्जा के लिए Acetyl-CoA, NADH, FADH₂ बनाता है
2. कीटोजेनेसिस (Ketogenesis):
- उपवास या मधुमेह के दौरान यकृत में होता है
- ऊर्जा के लिए कीटोन बॉडीज़ बनती हैं
3. लिपोजेनेसिस (वसा संश्लेषण):
- अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट → वसा में बदलते हैं
- मुख्य रूप से यकृत और वसा ऊतक में होता है