कुष्ठ रोग (त्वचा रोग) का केस इतिहास – आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य

तैयार किया गया: Prof. Dr. Satish Kumar Panda, MD (Ay), PhD
पद: Principal, Kritika Ayurvedic Medical College & Hospital, Bareilly, Uttar Pradesh.
तिथि: 19 july 2025

रोगी का विवरण

  • नाम: श्री छोटे लाल
  • आयु: 45 वर्ष
  • लिंग: पुरुष
  • व्यवसाय: किसान
  • पता: Bareilly, उत्तर प्रदेश
  • जाँच की तिथि: 19 july 2025

मुख्य लक्षण (प्रधान सम्प्रत्यात्मक लक्षण)

  1. खुजली (कंडू) – 6 महीने से, रात में बढ़ जाती है
  2. त्वचा में रूखापन (रूक्षता) – विशेषकर हाथ-पैरों पर
  3. रंग परिवर्तन (वैवर्ण्य) – काले-लाल धब्बे
  4. जलन (दाह) – हल्की, धूप में बढ़ जाती है
  5. स्राव (स्राव) – कभी-कभी, फटी त्वचा से
  6. दर्द (वेदना) – हल्का, खुजलाने पर बढ़ता है

वर्तमान रोग का इतिहास (पूर्व वेदना)

  • 6 महीने पहले हाथों पर छोटे लाल धब्बे दिखे।
  • धीरे-धीरे पैरों और पीठ पर फैल गए।
  • पसीना और धूल से खुजली बढ़ गई।
  • त्वचा रूखी, पपड़ीदार हो गई, कभी-कभी स्राव होता है।
  • पहले ऐसी कोई समस्या नहीं थी।

पिछले रोगों का इतिहास (पूर्व व्याधि)

  • 2 साल से पाचन संबंधी समस्याएँ (अपच, गैस)।
  • मधुमेह, उच्च रक्तचाप या क्षय रोग नहीं।

पारिवारिक इतिहास (कुटुम्ब अनुवंशिक व्याधि)

  • कुष्ठ रोग या अन्य त्वचा रोगों का कोई पारिवारिक इतिहास नहीं।

आहार एवं जीवनशैली (आहार और विहार)

आहार संबंधी आदतें:

  • मछली के साथ दही (विरुद्ध आहार) का सेवन।
  • अधिक मीठा, दूध उत्पाद, तला-मसालेदार भोजन।

जीवनशैली:

  • धूप में लंबे समय तक काम (किसान)।
  • स्वच्छता की कमी, अनियमित स्नान।
  • रात में देर से सोना, अनियमित नींद।

निदान पंचक (आयुर्वेदिक कारण एवं रोग उत्पत्ति)

1. निदान (कारक कारण)

  • विरुद्ध आहार (मछली + दही)
  • अधिक मधुर एवं स्निग्ध आहार (मीठा, तैलीय भोजन)
  • स्वच्छता की कमी, धूल/रसायनों का संपर्क

2. दोष प्रकोप

  • कफ-पित्त प्रधान कुष्ठ (खुजली, स्राव, जलन, वैवर्ण्य के कारण)

3. दूषित धातुएँ

  • त्वचा, रक्त, लसीका, मांस

4. प्रभावित स्रोतस

  • रसवह, रक्तवह स्रोतस (लसीका एवं रक्त संचार)

5. रोगमार्ग

  • बाह्य (बाहरी प्रकटीकरण)

दशविध एवं अष्ट स्थान परीक्षा (परीक्षा निष्कर्ष)

दशविध परीक्षा

  • प्रकृति: कफ-पित्त प्रधान
  • विकृति: कुष्ठ रोग (त्वचा एवं रक्त दूषित)
  • सार: मध्यम धातु गुणवत्ता
  • संहनन: मध्यम शरीर
  • प्रमाण: सामान्य अनुपात
  • सात्म्य: मिश्रित आहार सहनशीलता
  • सत्त्व: मध्यम मानसिक सहनशक्ति
  • आहार शक्ति: हल्का अपच
  • व्यायाम शक्ति: मध्यम
  • वय: मध्यम आयु

अष्ट स्थान परीक्षा

  • नाड़ी (पल्स): कफ-पित्त (मध्यम, भारी)
  • मल (मल): कभी-कभी सख्त, अधूरा विसर्जन
  • मूत्र (यूरिन): हल्का पीला
  • जिह्वा (जीभ): सफेद परत (कफ)
  • स्पर्श (छूने पर): रूखी, खुरदरी त्वचा
  • दृक (आँखें): हल्की लालिमा
  • आकृति (शरीर): मध्यम कद

विभेदक निदान (व्याधि विनिश्चय)

  1. विचर्चिका (एक्जिमा) – पपड़ी, खुजली, स्राव के कारण
  2. दद्रु (दाद) – नहीं (गोलाकार चकत्ते नहीं)
  3. किटिभ (सोरायसिस जैसा विकार) – संभव (रूखी, पपड़ीदार त्वचा)

आयुर्वेदिक उपचार योजना (चिकित्सा)

1. शोधन चिकित्सा (शुद्धिकरण)

  • विरेचन (पाचन सफाई) – त्रिवृत चूर्ण (पित्त-कफ संतुलन)
  • रक्तमोक्षण (रक्त शोधन) – रक्त दूषित होने पर
  • लेप (बाह्य प्रयोग) – निम्ब तेल, अर्क तेल

2. शमन चिकित्सा (लक्षण नियंत्रण)

आंतरिक औषधियाँ:

  • खदिरारिष्ट (रक्त शोधक)
  • मंजिष्ठादि क्वाथ (पित्त-रक्त शुद्धि)
  • अरोग्यवर्धिनी वटी (यकृत शोधन)

3. पथ्य-अपथ्य (आहार एवं जीवनशैली)

क्या करें (पथ्य):

  • कड़वे-कसैले आहार (नीम, हल्दी, मंजिष्ठा)
  • हर्बल काढ़े (गुडूची, नीम क्वाथ)
  • स्वच्छता बनाए रखें, धूप से बचें

क्या न करें (अपथ्य):

  • ❌ मछली + दूध/दही
  • ❌ अधिक मीठा, खमीरयुक्त भोजन
  • ❌ अनियमित नींद

रोग का पूर्वानुमान (साध्य-असाध्यता)

  • साध्य (ठीक होने योग्य) – यदि समय पर शोधन एवं शमन चिकित्सा की जाए
  • कृच्छ्र साध्य (कठिनाई से ठीक होने वाला) – यदि पुराना हो और जीवनशैली खराब हो

अनुवर्ती योजना

  1. 15 दिन बाद – खुजली, पपड़ी की जाँच
  2. 1 महीने बाद – सुधार का आकलन, उपचार में बदलाव
  3. 3 महीने बाद – दीर्घकालिक देखभाल

निष्कर्ष

यह कफ-पित्त प्रधान कुष्ठ रोग (संभवतः विचर्चिका/एक्जिमा) का मामला है, जिसमें शोधन (डिटॉक्स), शमन (उपचार) और सख्त पथ्य-अपथ्य की आवश्यकता है। समय पर उपचार से रोग का निदान संभव है।



Kritika Group Of College, Bareilly