
✨ Unit 11 – Chapter 2
मानव प्रजनन तंत्र (Human Reproductive System)
🔶 प्रजनन (Reproduction)
परिभाषा:
प्रजनन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोई भी जीव (पशु या पौधा) अपने जैसे ही एक नया जीव उत्पन्न करता है। इससे उस जाति का अस्तित्व बना रहता है।
🔶 प्रजनन के प्रकार (Types of Reproduction)
- लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction):
इसमें नर और मादा दोनों की आवश्यकता होती है। यह निषेचन (Fertilization) और कोशिका विभाजन के द्वारा होता है। - अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction):
इसमें केवल एक ही जीव भाग लेता है और यह बिना निषेचन के होता है। उत्पन्न संतान माता के समान होती है।
🔶 मादा प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System)
मादा प्रजनन तंत्र को तीन मुख्य भागों में बाँटा जाता है:
- बाह्य जननांग (External Genitalia)
- आंतरिक जननांग (Internal Genital Organs)
- सहायक अंग (Accessory Organs)
✅ 1. बाह्य जननांग (External Genitalia)
इन्हें वल्वा (Vulva) कहा जाता है। ये बाहर से दिखाई देते हैं।
- मॉन्स प्यूबिस (Mons Pubis):
योनि के ऊपर चर्बी से ढकी जगह जहां बाल होते हैं। - लेबिया मैजोरा (Labia Majora):
मोटे, बाहरी होठ जो जननांग को ढकते हैं। - लेबिया माइनोरा (Labia Minora):
पतले, अंदर की ओर के होठ। - क्लिटोरिस (Clitoris):
एक छोटा और संवेदनशील भाग जो यौन उत्तेजना में मदद करता है। - वेस्टीब्यूल (Vestibule):
एक तिकोना स्थान जहां मूत्रमार्ग, योनि और ग्रंथियाँ खुलती हैं।
✅ 2. आंतरिक जननांग (Internal Genital Organs)
A) योनि (Vagina):
- यह एक पेशीय नली है जिसकी लंबाई लगभग 8–9 सेमी होती है।
- यह मैथुन, मासिक धर्म और बच्चे के जन्म में सहायक होती है।
योनि की परतें:
- म्यूकोसल लेयर (अंदरूनी)
- सबम्यूकोसल लेयर
- मांसपेशी लेयर
- बाहरी फाइब्रोस लेयर
B) गर्भाशय (Uterus):
- यह खोखला, नाशपाती के आकार का अंग है जहां भ्रूण का विकास होता है।
- लंबाई: लगभग 7.5 सेमी, मोटाई: 2.5 सेमी, वजन: 50–80 ग्राम
गर्भाशय के भाग:
- फंडस (Fundus) – ऊपर का भाग
- बॉडी (Body) – बीच का मुख्य भाग
- इस्थमस (Isthmus) – पतला भाग
- सर्विक्स (Cervix) – नीचे का भाग जो योनि से जुड़ता है
गर्भाशय की परतें:
- पेरिमीट्रियम (Perimetrium): बाहरी
- मायोमीट्रियम (Myometrium): मांसपेशीय परत
- एंडोमीट्रियम (Endometrium): अंदरूनी परत – मासिक धर्म में झड़ती है
C) अंडवाहिनी (Fallopian Tube):
- गर्भाशय और अंडाशय को जोड़ने वाली नलियाँ
- लंबाई: लगभग 10 सेमी
- यहीं पर निषेचन होता है
भाग:
- इन्फंडिबुलम (Infundibulum) – अंडाशय के पास, फिम्ब्रिया से युक्त
- एम्पुला (Ampulla) – निषेचन का स्थान
- इस्थमस (Isthmus) – पतला भाग
- इंट्राम्यूरल (Intramural) – गर्भाशय से जुड़ा भाग
D) अंडाशय (Ovaries):
- यह दो अंग होते हैं जो अंडाणु और हार्मोन (एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन) बनाते हैं।
भाग:
- कॉर्टेक्स (Cortex): बाहर का भाग – अंडाणु यहीं बनते हैं
- मेडुला (Medulla): अंदर का भाग – रक्त और तंत्रिकाएँ
✅ 3. सहायक अंग (Accessory Organs)
A) बार्थोलिन ग्रंथियाँ (Bartholin’s Glands):
- योनि द्वार के पास स्थित होती हैं और स्नेहक (lubrication) प्रदान करती हैं।
B) स्कीन ग्रंथियाँ (Skene’s Glands):
- मूत्रमार्ग के पास होती हैं, और लुब्रिकेशन में मदद करती हैं।
C) स्तन ग्रंथियाँ (Breasts):
- शिशु को दूध पिलाने के लिए होती हैं।
- दूध बनाने वाली 15-20 नलिकाएं होती हैं।
- निप्पल और एरियोला भी इनमें शामिल हैं।
🔶 मुख्य कार्य (Functions)
- अंडाणु बनाना
- हार्मोन स्राव करना
- निषेचन कराना
- भ्रूण का पोषण और विकास
- प्रसव में सहायता
- स्तनपान कराना
📘 विशेष रूप से नर्सिंग विद्यार्थियों के लिए उपयोगी
- प्रसवपूर्व और प्रसव के बाद देखभाल
- मासिक धर्म, गर्भावस्था, स्तनपान की सही जानकारी
- महिला स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण की शिक्षा