
उद्देश्य:
पेट के अंगों की स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करने और असामान्यताओं का पता लगाने के लिए व्यवस्थित जाँच करना।
आवश्यक उपकरण:
- स्टेथोस्कोप
- मापने वाला टेप
- दस्ताने
- पेनलाइट (यदि आवश्यक हो)
- ड्रेपिंग शीट
- मार्कर पेन (सीमाएँ चिह्नित करने के लिए)
पेट की जाँच के चरण
1. तैयारी
- सूचित सहमति: रोगी को प्रक्रिया समझाएँ।
- पोजीशनिंग: सपाट पीठ के बल, हाथ बगल में, घुटने थोड़े मुड़े हुए।
- एक्सपोजर: पेट को पूरी तरह से खोलें, लेकिन मर्यादा बनाए रखें।
- गर्म हाथ और शांत वातावरण: रोगी का आराम सुनिश्चित करें।
2. निरीक्षण (Inspection)
- सामान्य अवलोकन: फूला हुआ पेट, निशान, स्ट्राइए (तन्यता रेखाएँ), दिखाई देने वाली पेरिस्टालसिस, धड़कन।
- नाभि: स्थिति, आकार, रंग परिवर्तन, हर्निया।
- त्वचा: रंग, घाव, फैली हुई नसें, चोट के निशान।
- आकृति: सपाट, अंदर धंसा हुआ, गोल, फूला हुआ।
- सांस लेने के साथ गति: सममिति।
3. श्रवण (Auscultation) (पैल्पेशन से पहले, आँतों की आवाज़ को बदलने से बचने के लिए)
- आँतों की आवाज़:
- सामान्य (5-35/मिनट), अतिसक्रिय (अवरोध), कम सक्रिय (पैरालिटिक इलियस), अनुपस्थित (पेरिटोनाइटिस)।
- धमनी की आवाज़ (Bruits): महाधमनी, गुर्दे, इलियक और फीमोरल धमनियों पर (संकुचन का संकेत)।
- रगड़ की आवाज़ (Friction Rubs): लीवर/तिल्ली पर (दुर्लभ, सूजन का संकेत)।
4. परकशन (Percussion)
- टिम्पेनी बनाम मंदता:
- टिम्पेनी (हवा से भरी आँतें)।
- मंदता (ठोस अंग या द्रव)।
- लीवर का आकार: मध्य-कंठिका रेखा में सामान्यतः 6-12 सेमी।
- तिल्ली और गुर्दे: बढ़े हुए आकार की जाँच।
- द्रव तरंग और शिफ्टिंग डलनेस: जलोदर (एसाइटिस) के लिए।
5. स्पर्श परीक्षण (Palpation)
A. हल्का स्पर्श (1-2 सेमी गहराई)
- दर्द, जकड़न, कठोरता, सतही गांठ की जाँच।
- रिबाउंड टेंडरनेस (Blumberg’s Sign): पेरिटोनाइटिस।
B. गहरा स्पर्श (5-6 सेमी गहराई)
- लीवर: RLQ से शुरू करें, साँस लेते समय ऊपर की ओर बढ़ें।
- तिल्ली: बाएँ हाथ को पसलियों के नीचे रखें, दाएँ हाथ से LUQ में दबाएँ।
- गुर्दे: बैलोटमेंट तकनीक।
- महाधमनी: चौड़ाई (<3 सेमी सामान्य)।
- गांठें: आकार, आकृति, गतिशीलता, दर्द की जाँच।
6. विशेष परीक्षण (यदि आवश्यक हो)
- मर्फी’स साइन: पित्ताशय की सूजन।
- मैकबर्नी’स पॉइंट टेंडरनेस: अपेंडिसाइटिस।
- प्सोअस और ऑब्ट्यूरेटर साइन: अपेंडिसाइटिस।
- द्रव थ्रिल और शिफ्टिंग डलनेस: जलोदर।
डॉक्यूमेंटेशन और रिपोर्टिंग
- निष्कर्षों को व्यवस्थित रूप से रिकॉर्ड करें (निरीक्षण, श्रवण, परकशन, स्पर्श)।
- किसी भी असामान्यता को नोट करें (जैसे दर्द, अंगों का बढ़ना, जलोदर)।
- यदि रोग संबंधी लक्षण मिलें, तो चिकित्सक को सूचित करें।
नर्सिंग ध्यान देने योग्य बातें
- रोगी के आराम और गोपनीयता का ध्यान रखें।
- दर्द से बचने के लिए हल्का दबाव डालें।
- इतिहास के साथ निष्कर्षों की तुलना करें (जैसे दर्द, मतली, उल्टी)।
- संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल का पालन करें।
निष्कर्ष: पेट की सावधानीपूर्वक जाँच से अपेंडिसाइटिस, लीवर रोग, आँतों में रुकावट जैसी स्थितियों का निदान होता है। सही तकनीक से सटीक आकलन संभव है।