अगद तंत्र एवं व्यवहार आयुर्वेद विभाग

(विष विज्ञान एवं आयुर्वेदिक न्यायशास्त्र)

अगद तंत्र (विष विज्ञान – Toxicology) तथा व्यवहार आयुर्वेद (चिकित्सकीय न्यायशास्त्र – Medical Jurisprudence) आयुर्वेद का एक विशिष्ट विभाग है, जो विषों के अध्ययन, उपचार एवं फॉरेंसिक चिकित्सा (forensic medicine) से संबंधित है।


मुख्य विषय-क्षेत्र

1. अगद तंत्र (विष विज्ञान)

  • विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न विषों का अध्ययन:
  • जीवजन्य विष (सर्पविष, बिच्छूदंश, कीटदंश)
  • वनस्पति जन्य विष (अकोनाइट, धतूरा, करंज आदि)
  • धातु/रासायनिक विष (पारा, सीसा, आर्सेनिक)
  • विषनाशक औषधियाँ (विषघ्न द्रव्य) जैसे—
  • हरिद्रा, मुस्ता, त्रिफला, सर्पगंधा, गिलोय
  • पंचकर्म चिकित्सा (वमन, विरेचन, रक्तमोक्षण) द्वारा विष निष्कासन
  • आकस्मिक विषप्रभाव का प्रबंधन (जहर खाने, डंक लगने पर तुरंत उपचार)

2. व्यवहार आयुर्वेद (चिकित्सकीय न्यायशास्त्र)

  • असामयिक मृत्यु की जाँच (आत्महत्या, हत्या, दुर्घटना)
  • शव परीक्षण (पोस्टमॉर्टम) एवं कानूनी प्रक्रियाएँ
  • विषाक्तता के लक्षणों की पहचान (फॉरेंसिक रिपोर्टिंग)
  • आयुर्वेदिक चिकित्सकों के कानूनी दायित्व

आधुनिक समय में महत्व

  • फॉरेंसिक विज्ञान के साथ आयुर्वेदिक ज्ञान का समन्वय।
  • विषैले पदार्थों की पहचान एवं आयुर्वेदिक उपचार (जैसे—सर्पदंश में मंत्र, औषधि एवं हर्बल एंटीडोट्स)।
  • मेडिको-लीगल केस में आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की भूमिका।

निष्कर्ष

यह विभाग आयुर्वेद को आधुनिक फॉरेंसिक विज्ञान से जोड़ता है, ताकि विष प्रबंधन एवं कानूनी प्रक्रियाओं में प्राचीन ज्ञान का उपयोग किया जा सके।

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